Har ek manzar par udasi chhayi       hai,    Chand ki roshni me bhi  kami aayi  hai,     Akale achhe the hum apne aashiane me, Jane kyu toot kar aaj fir apki yaad aayi ha.

हर एक मंजर पर उदासी छाई है, चांद की रोशनी मे भी कमी आयी है, अकेले अच्छे थे हम आपने आशियाने मे, जाने क्यों आज टूट कर  फिर आपकी  याद आई  है



 I want to lose you in the depths of the eyes. Today, in your arms, I want to fall asleep. I want to make you all today.


आखों की गहराई में तेरी खो जाना चाहता हूँ आज तुझे बाँहों में लेकर सो जाना चाहता हूँ तोड़ कर हदे मैं आज सारी अपना तुझे बना लेना चाहता हूँ

Ek shayari bhagat Singh aur unke dosto me naam.

 जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में भी लिपट कर,सोने में सिमटकर मरे हैं शासक कई, मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं होता।

अगर  शायरी  अच्छी  लगी  हो तो  कमेंट  करे। 


धन्यावाद। 

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